मुख्य लेख: तीतरमारा TeetarMara (Titarmara): (ईब-मैनी संगम)

तीतरमारा या TeetarMara जिसे तितरमारा या Titarmara के रूप में भी Spell किया जा सकता है; यह एक प्राकृतिक स्थल है जो अपने प्रचलित नाम- “संगम या sangam” के नाम से भी जाता है।

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List of contents
(1). स्थल विवरण
(2). स्थिति
(3). पहुँचमार्ग
(4). यात्रा के साधन
(6). खास बातें
(7). भ्रमण हेतु उचित समय
(8). क्या करें और क्या न करें?

See also: मदेसर पहाड़ Madheshwar Pahad

(1). स्थल विवरण

इस जगह पर दो नदियाँ (ईब नदी और मैनी नदी मिलकर एक हो जाती हैं, और इसी वजह से स्थानीय लोगों के द्वारा इसका नाम संगम रख दिया गया।

(2). स्थिति

यह जगह चोंगरीबहार नामक गाँव के पास ही स्थिति है, जो काँसाबेल विकासखण्ड, जिला- जशपुर, छत्तीसगढ़ के अंतर्गत आती है।

(3). पहुँचमार्ग

मुख्यमार्ग- राष्ट्रीय राजमार्ग 78.

जशपुर की ओर से

उत्तर दिशा से जशपुर की ओर से लोरो घाटी मार्ग द्वारा लगभग 46 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व दिशा की ओर फरसकानी कैथोलिक चर्च मार्ग से होते हुए इस जगह पर पहुँचा जा सकता है। फरसाकानी से इसकी दूरी मात्र 5 किलोमीटर है।

काँसाबेल की ओर से

दक्षिण दिशा से काँसाबेल से बेलघाट मार्ग से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर बन्दरचुआं नामक जगह है, यहाँ से पूर्व दिशा की ओर बगिया-दोकड़ा मार्ग द्वारा यहाँ तक पहुँचा जा सकता है।

(4). यात्रा के साधन

यहाँ तक पहुँचने के लिए हर तरह के वाहन का उपयोग किया जा सकता है, जैसे- मोटरसाइकिल, कार एवं बस, इत्यादि।

(5). क्यों है यह जगह प्रसिद्ध?

यह जगह अपनी प्राकृतिक सुदरता के लिए जानी जाती है। यहाँ लोग वर्ष के किसी भी दिन पिकनिक के लिए आते हैं। प्रत्येक वर्ष नये साल के दिन यहाँ पिकनिक के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं।

(6). खास बातें

1. शिव मंदिर के दर्शन (संगम शिव मंदिर, चोंगरीबहार)।

2. कृत्रिम झरना: ईब और मैनी नदी के संगम से कुछ ही मीटर की दूरी पर कॉन्क्रीट और सीमेंट की जोड़ से 276 मीटर लंबी बाँध का निर्माण किया गया है। इसी बाँध के ऊपर से नदी में बहती हुई पानी नीचे की ओर गिर कर एक कृत्रिम झरने का निर्माण करती है, जो मनमोहक दृश्य बनाती है।

(7). भ्रमण हेतु उचित समय

हालाँकि यहाँ वर्ष में कभी भी आया जा सकता है, लेकिन ठण्ड के महीने में यहाँ आना एक अच्छा निर्णय होता है।

(8). क्या करें और क्या न करें?

1. बारिश के मौसम में कार या भारी वाहन से न आयें।

2. गर्मी के मौसम में आने पर नदी का पानी न पीकर मंदिर के पीछे वाले कुएँ का पानी पीयें।

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