Kaagaj ki naav (paper boat)

Date: 17 June, 2021 (Kaagaj Ki Naav)

इस बार पूर्वानुमान से पूर्व ही मध्य भारत में मानसून दस्तक दे चुकी है।

सभी लोग कृषि कार्यों में व्यस्त हैं। वहीं बच्चे इस मौसम का मजा उठा रहे हैं, पर सिर्फ आसमान से गिरते हुये पानी को देखकर।

अचानक मुझे कुछ याद आया, मैंने बैग से अपना Notepad निकाला, उसमें से एक आयताकार कागज अलग किया।

दिमाग पर जोर देने की जरूरत नहीं पड़ी। अपने आप ही कागज पर उंगलियाँ फिरते गए और मिनट भर के अंदर ही सामने कागज की एक खूबसूरत नाव थी।

मैंने कागज की नाव (Kaagaj ki Naav or paper boat) चलाई और बचपन की यादों में चला गया।

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“सामने खुला आसमान है, यह तय कर पाना मुश्किल है कि आसमान ऊपर है कि नीचे, या समुद्र ही ऊपर चली गई है।

कागज की नाव कब समुद्र की जहाज में बदल गई पता ही नहीं चला।

सरकारी नौकरी quit करने के बाद यह मेरी पहली यात्रा है।

द्वारकाधीश की यात्रा में समुद्र की beach के दर्शन के बाद यह दूसरा मौका जब मैं पहली बार समुद्र के बीच में हूँ।

जहाज से पहली यात्रा थी, हर एक movement के साथ रोमांच बढ़ रही थी….”

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उस दिन मेरे क्षेत्र के 9 लोग भी अंडमान जा रहे थे। यही कारण था कि उनसे मिलने वाली कंपनी की वजह से मैंने Bunk Class का ही टिकट लिया था।

बारिश के मौसम ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है। मैंने आज भी Kaagaj Ke Naav बनाए, दो नावों को बरसात की बहती पानी में एक साथ छोड़ा।

एक बीच में ही डूब गई और दूसरी इतनी दूर निकल गई कि वह आँखों से ओझल हो गई।

अंदर से आवाज आई- “Do it! It’s not necessary that you will get success, but it is necessary to start that….”

Written For: Kaagaj Ki Naav / Kaagaj ki Kashti / कागज की नाव 

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