बाड़ी विकास योजना क्या है?

बाड़ी विकास योजना‘ या ‘Badi Vikas Yojana‘ छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है, और इसे Flagship योजना के रूप में उद्यान विभाग के माध्यम से राज्य  के समस्त किसानों के लिए लागू की गई है।

What is Badi Vikas Yojana?

अन्य योजनाओं की तरह ही बाड़ी विकास योजना उद्यान विभाग की योजना है। पोषण बाड़ी योजना (Poshan Badi Yojana), इस योजना के अंतर्गत आने वाली एक लघु परन्तु बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है।

बाड़ी का आकार

बाड़ी का आकार 200 वर्ग मीटर होता है।

मुख्य बिंदु:

(1). योजना हेतु किसान की पात्रता।

(2). योजना की प्रक्रिया।

(3). कार्य का निरीक्षण।

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(1). योजना हेतु किसान की पात्रता

इस योजना हेतु छत्तीसगढ़ के समस्त कृषक पात्र हैं। इनमें शामिल हैं-

1. सीमान्त कृषक।
2. लघु कृषक।
3. दीर्घ कृषक।

(2). योजना की प्रक्रिया

चरण 1. किसान का चयन

किसानों का चयन उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा की जाती है। यह कार्य विशेष रूप से ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी के द्वारा की जाती है।

ग्रामीण उद्यान उद्यान विस्तार अपने निर्धारित क्षेत्र के कृषकों के निजी बाड़ियों का निरीक्षण करते हैं। निरीक्षण के पश्चात उनके द्वारा किसानों चयनित किसानों को योजना में सम्मिलित किया जाता है।

चरण 2. किसानों को विभागीय योजनाओं से लाभान्वित किया जाना?

बीज का वितरण

खरीफ: करेले का बीज, मिर्च का बीज, बैंगन का बीज,   इत्यादि।

रबी: टमाटर का बीज, पत्ते गोभी का बीज, फूलगोभी का बीज इत्यादि।

जायद: कद्दू के बीज, करेले का बीज, लौकी का बीज इत्यादि।

फलदार पौधों का वितरण: फलदार पौधों में आम, लीची, कटहल, सीताफल, अमरूद इत्यादि।

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चरण 3. संबंधित किसान का मनरेगा Work Code जारी कराना

इस कार्य में निम्न. कर्मचारी शामिल होते हैं-

1. ग्रामीण उद्यान विकास अधिकारी।
2. रोजगार सहायक।

चरण 4. किसानों द्वारा अपने बाड़ी में काम किया जाना

अब किसान के द्वारा अपनी ही बाड़ी में कार्य किया जाता है। इस कार्य में सभी सदस्य शामिल होते हैं।

सभी कार्य करने वाले सदस्यों का work code जारी किया जाता है, तथा प्रतदिन के हिसाब से मनरेगा में तय दर के अनुसार उन्हें पैसे का भुगतान किया जाता है।

(3). कार्य का निरीक्षण

बाड़ी विकास का कार्य सुचारू रूप से संचालित हो इसलिये समय – समय पर अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाता है।

अंत में कार्य पूर्णता का प्रमाणपत्र संबंधित विभाग के द्वारा जारी की जाती है।

शब्दों की व्याख्या

सीमान्त कृषक: सीमान्त कृषक वे कृषक होते हैं जिनके पास कुल जमीन 2.5 एकड़ से नीचे होती है।

लघु कृषक: लघु कृषक वे कृषक होते हैं जिनके पास कुल जमीन 2.5 – 5.00 एकड़ होती है।

दीर्घ कृषक: दीर्घ कृषक वे कृषक होते हैं जिनके पास कुल जमीन 5.00 एकड़ से ज्यादा होती है।

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CategoryGovernment schemes
WriterHarish Manik

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