परिचय: Extension Education Institute, Aanand

Agricultural University, Gujarat कृषि अनुसंधान, विकास और प्रचार-प्रसार से सम्बंधित एक सरकारी संस्था है। यह एक स्वशासित परन्तु सरकारी संस्था है। यह संस्था भारत के गुजरात के आनन्द जिले में स्थित है। EEI में सरकारी कर्मचारी एवं अधिकारियों को प्रशिक्षण दी जाती है, जिनमें कृषि विभाग, उद्यान विभाग, वन विभाग और अन्य विभाग के कर्मचारी एवं अधिकारी शामिल होते हैं  यहाँ से द्वारकाधीश की दूरी 500 किमी है, जहाँ तक जाने के लिए रेल और रात्रि बस की सुविधा है।

यात्रा की तैयारी

यह यात्रा वर्ष 2017 जनवरी की है। उस समय मेरी पोस्टिंग उद्यान विभाग में 7 महीने पहले ही हुई थी। मेरी पोस्टिंग छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में थी। ट्रेनिंग की सूचना मुख्यालय से टेलीफोन के माध्यम से दी गई। ट्रेनिंग की तारीख 4 जनवरी थी जो 6 दिवसीय थी अर्थात 4 जनवरी से 10 जनवरी 2017 तक। मुझे एक सप्ताह के पश्चात ट्रेनिंग के लिए गुजरात रवाना होना था। चूँकि यह मेरी यह पहली यात्रा थी अतः मैं सहमा हुआ और चिंतित था। मैंने अपने बड़े भाई (डॉ. महेश्वर मानिक) से रेल में टिकट बुक कराने के लिए कहा। उन्होंने टिकट कन्फर्म करा दी और मैंने अपनी तैयारी प्रारंभ कर दी।

यात्रा का दिन

मेरे साथ मेरा ही एक कनिष्ठ (कॉलेज के समय) था जो गरियाबंद जिले में समान विभाग और पद में शामिल था। रवानगी के दिन बड़े भैया ने मुझे सुबह 5 बजे ही रेलवे स्टेशन छोड़ दिया क्योंकि की ट्रेन का समय सुबह 6 बजे था। कुछ देर बाद मुकेश भी पहुँच गया। मेरे जूनियर का नाम मुकेश था। ठीक 6 बजकर 1 मिनट पर ट्रेन स्टेशन पर पहुँची। हमने अपने अपने शीट पर कब्जा कर लिया। मैंने खिड़की वाली शीट चुनी।

कुछ देर बाद ट्रेन छूटी और मैंने नजारे का आनंद लेना शुरू कर दिया। उस दिन रात्रि से पहले मैंने उन सभी जगहों को ट्रेन से ही देख लिया जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा था; इनमें डोंगरगढ़ के पहाड़ी में स्थित मंदिर भी शामिल था। 3 बजे हमलोग नागपुर पहुँचे जहाँ हमने ट्रैन में नागपुरी संतरे खरीद कर खाया। महाराष्ट्र के अन्य जिलों में ट्रेन जैसे-जैसे गुजरते गई तब हमने कपास के अनवरत खेतों को देखा।

अब तक शाम हो चुकी थी। रात्रि के खाने के लिये हमने रेल कर्मचारी को खाने का आर्डर दे दिया। बहुत इंतजार करने के बाद खाना मिला। पर खाने की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि हमने 2-3 निवाले के बाद खाने की थाली छोड़ दी। भूख मिटाने के लिए हमने बिस्किट ही खाया।

आनंद में ट्रेनिंग

अगली सुबह 4 बजे हम आनंद रेलवे स्टेशन पहुँचे और वहाँ से 40-40 रुपये किराये देकर EEI पहुँचे। सुबह 9 बजे से ही ट्रेनिंग शुरू हो गई। 6 दिनों के इस ट्रैनिंग में एक दिन हमें गाँधीनगर, एक दिन अक्षरधाम मंदिर के दर्शन और एक दिन अमूल दुग्ध उत्पादन उद्योग क्षेत्र का भ्रमण कराया गया। ट्रैनिंग के अंतिम दिन हमें  साबरमती आश्रम का भी दर्शन कराया गया।

द्वारकाधीश व समुद्र के दर्शन

ट्रैनिंग समाप्त होने के बाद मुकेश और मैंने द्वारकाधीश जाने की योजना बनाई। हमलोगों ने आनंद से द्वारकाधीश जाने वाली रात्रि बस में टिकट बुक कराया। आनंद से द्वारकाधीश का किराया 600 रुपये पड़ा। हमने स्लीपर कोच बुक किया जिसका कुल किराया 1000 रुपये पड़ा। हमने साथ ही आने के लिए भी टिकट बुक करा लिया। रात के 7 बजे हम बस में सवार हुये परन्तु हमें 20 किमी खड़े-खड़े ही जाना पड़ा क्योंकि उसी कम्पनी की दूसरी बस में चढ़ गए थे। आधे घंटे बाद हमने बस बदली। यह एक ए. सी. बस थी जिसमें मनोरंजन के लिए LCD लगी हुई थी।

अगले दिन सुबह हम 8 बजे द्वारकाधीश पहुँचे और एक लॉज किराये में लिया।

नहाने के पश्चात हम Google Map में नेवीगेशन करते हुए द्वारिकाधीश मंदिर पहुँचे। यहाँ हमने भगवान के दर्शन के लिए लाइन लगाई। भगवान के एक बार दर्शन कर लेने के बाद भी मेरा जी नहीं भरा इसलिए मैंने दुबारा लाइन लगाई।

अब बारी थी द्वारका बिच (Dwarka Beach) की। उस मैंने जिंदगी में पहली बार समुद्र देखा और मैं मंत्रमुग्ध होकर खो गया। मैं वहाँ से कहीँ और जाना नहीं चाहता था। द्वारका में निम्न कार्य किये एवं जगहों का आनंद लिया:

1. द्वारका मंदिर में भगवान के दर्शन।
2. ऊँट की सवारी।
3. समुद्र में नहाना।
4. समुद्र के जल का संग्रहण।

1. भगवान के दर्शन: हमनें सवसे पहला कार्य भगवान के दर्शन करने का किया।

2. ऊँट की सवारी: यहाँ हमने 30 मीटर तक ऊँट की सवारी के लिए 40 रुपये, कुल 80 रुपये दिए।

3. समुद्र में नहाना: हमने समुद्र में नहाने का मजा लिया। लहरों के साथ खेलने में बहुत आनंद आया।

4. समुद्र के जल का संग्रहण: अब वापसी का समय हो गया था। मैं भावुक हो गया था। मैंने मुकेश से कहा कि याद के लिए कुछ लेकर जाते हैं, और हम दोनों ने अपने पानी पीने के बोटल में समुद्र का पानी भर लिया।

वापसी में 1 बजे रात को ट्रैन थी। रात को ट्रेन में बैठने के बाद हम 1.5 दिन के सफर के बाद अपने घर वापस पहुँचे।

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