[डिस्क्लेमर: इस पोस्ट का उद्देश्य किसी वर्ग विशेष का विरोध करना नहीं है और न ही किसी के भावनाओं को आहत करना। इस लेख का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि इस देश के बेरोजगार युवक एवं युवतियाँ पढ़ाई-लिखाई करने के बाद सिर्फ नौकरी करने के बारे में सोंचने और नौकरी तलाश करने में ही अपना कीमती समय बर्बाद न करें। अपितु वे अपने हुनर, शिक्षा और ज्ञान के उपयोग से एक स्वरोजगार की इमारत बनायें और अपने नाम को सार्थकता प्रदान करें।]
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प्रारम्भ
यहाँ हम नौकरी को तीन तरीके से देखेंगे
1. ऐसे लोग जो परिवार चलाने के लिए नौकरी करते हैं।
2. ऐसे लोग जो पैसों के लिए नौकरी करते हैं।
3. ऐसे लोग जो पद की लाभ के लिए नौकरी करते हैं।
परिचय
नौकरी
नौकरी जीवन यापन के लिए एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के लक्ष्यों को पूरी करने के लिए किया जाने वाला वह कार्य है जिसमें मालिक अपने नौकरों को एक तय समय के लिये तय मात्रा में पैसा देते हैं। और यह प्रक्रिया 365 दिन एक समान चलती है, हालाँकि नौकरी करने वाले इंसान के प्रतिदिन तय कार्यसीमा की अवधि घट या बढ़ भी सकती है। अधिकतर दशाओं में कार्य अवधि के बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
नौकर
नौकर आम इंसानों जिनमें महिला एवं पुरूष दोनों शामिल होते हैं, उन लोगों की ऐसी समूह है जो पैसे के बदले अपना बहुमूल्य समय किसी बिज़नेसमेन या संस्था को देते हैं। तकनीकी रूप में इन्हें कर्मचारी एवं अधिकारी के नाम से संबोधित किया जाता है।
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कैसे मिलती है नौकरी?
नौकरी करने के लिए आवश्यक अहर्ताओं के साथ आवेदन करना पड़ता है। योग्य पाये जाने व परीक्षा उतीर्ण करने के पश्चात नौकरी मिल जाती है। निजी संस्थानों में परीक्षा देने की आवश्यकता बहुत ही कम दशाओं में होती है।
क्या होते हैं काम?
नौकरी में किये जाने वाले कार्य विभागों एवं संस्थाओं के प्रकृति पर निर्भर करती है।
नौकरी करने के लाभ
आराम की जिंदगी
अगर नौकरी में होने वाली सामान्य टेंशन को छोड़ दें तो एक नौकरी करने वाले इंसान की जिंदगी आराम तलब हो जाती है। आपको सिर्फ टाइम से आफिस जाना होता है और दिन भर के कार्य में लगे रहना है, और टाइम होते ही वापस घर में आकर खाना खाना, टीवी देखना या मोबाइल चलाना रहता है। क्योंकि समय पर तनख्वाह मिलना तय रहता है।
पैसों की कमी न होना
पैसों की कमी न होने से तातपर्य पैसों की उन मात्रा से है जो सिर्फ दैनिक आवश्यकताओं को पूरी करने करने में सक्षम होते हैं। एक नौकरी करने वाले इंसान के पास महीने के 30 दिनों तक घर का खर्चा चलाने के लिए पर्याप्त पैसा हो जाता है।
पद का महत्व
नौकरी में कई पद ऐसे होते हैं जिनका ओहदा काफी ज्यादा होता है। ऐसे नौकरों को समाज में बहुत ही प्रतिष्ठित माना जाता है और उन्हें सम्मान के नजरों से देखा जाता है। यहाँ तक कि हर बाप अपनी बेटी को ऐसे नौकरों से शादी करा कर दामाद बनाना चाहते हैं।
समाज में इज्जत
नौकरीपेशा लोगों को समाज में अन्य लोगों से ज्यादा इज़्जत मिलती है। इनमें सार्वजनिक स्थल और सामाजिक मीटिंग भी शामिल हैं।
शादी
आज वर्तमान समय में शादी करने के लिए नौकरी का होना अति आवश्यक है। बिना नौकरी के कोई भी पिता अपनी बेटी देने को तैयार नहीं होता। आप यह मानकर चलें कि अगर आपको जिंदगीभर कुँवारा नहीं रहना तो एक नौकरी अवश्य कर लें। नौकरी नहीं तो शादी नहीं।
नौकरी में होने वाली परेशानियां
यह अनुच्छेद उन लोगों के लिए है जो नौकरी करके अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहते एवं किसी की गुलामी में न रहकर अपना एक स्वतंत्र रोजगार विकसित करना चाहते हैं। हालाँकि इसमें आपका कोई साथ नहीं देने वाला तथा आपको कई मौकों पर टूटना भी पड़ सकता है। पर याद रखें आजादी इतनी आसानी से नहीं मिलती और न ही आम की गुठलियों जैसी सस्ती होती है।
अपना बहुमूल्य समय किसी की लक्ष्य पूर्ति में लगाना
यह सर्वदा सत्य बात बात है कि एक नौकरी में आप अपने जीवन का बहुमूल्य समय दूसरे इंसान को दे देते हैं। इसमें एक नौकर को कुछ पैसे तो मिल जाते हैं लेकिन मालिक को वास्तविक लाभ होता है।
परिवार को समय न दे पाना
एक बात आप सभी को जानना एवं मानना चाहिए कि नौकरी करने पर आप अपने परिवार को टाइम नहीं दे पाएँगे। हाँ, 1, 2 दिन या सप्ताह भर की छुट्टी मिल जाती है, परन्तु निजी जगहों पर नौकरी करने से तो आप सिर्फ खाना खाने एवं सोने के लिए ही घर आ पाएंगे। यहाँ तक कि कभी-कभी आपको खुद कर लिए भी समय दे पाना संभव नहीं हो पाता।
टेंशन
“दूर के ढोल सुहाने होते हैं” यह एक मुहावरा या कहावत ही नहीं है अपितु सर्वथा सत्य है। कौन कहता है कि नौकरी में टेंशन नहीं होता? नौकरी में टेंशन है और सबसे ज्यादा टेंशन है। कई बार ऐसा होता है कि नौकरी करने वाले लोग ऑफिस में मिलने वाले टेंशन को घर में ले आते हैं और घर में आकर परिवार के सदस्यों पर गुस्सा जाहिर करते हैं। इस तरह परिवार में कलह की स्थिति बनी रहती है। हालाँकि बिज़नेस में भी टेंशन होते हैं लेकिन हमने देखा है कि उनके घर में ऐसे झगड़े नहीं होते हैं।
आलससी बनना
हालाँकि ऐसे शब्दों का उपयोग करना हम गलत मानते हैं। पर नौकरी करने वाले आलसी ही होते हैं। सरकारी नौकरी सबसे ज्यादा आलसी होते हैं।
दो शब्द सुनना
यह सिर्फ कहने के लिए है। पर सच्चाई तो यह है कि कभी-कभी आपको 20 कड़वे शब्द भी सुनने पड़ सकते हैं।
जिंदगी में नौकरी करनी है या नहीं करनी है यह दूसरों को तय करने न दें। आप स्वयं ही तय करें कि इस लाइफ में क्या पाना है और क्या खोना है।
पहले तो आप डिग्री पूरी होने के बाद नौकरी के पीछे भागेंगे, माता-पिता भी आपको नौकरी पाने के लिए दबाव डालेंगे। उसके बाद नौकरी मिलने के कुछ दिनों अथवा महीनों के पश्चात आप खुद ही इससे पीछा छुड़ाने के तरीके खोजेंगे। और यह एक ऐसा सपना होगा जो पूरी नहीं हो सकती।
एक ही तो जिंदगी है, दूसरों के इशारों पर क्यों नाचें?