घोर निराशा में क्या करें या क्या करना चाहिए?

भाग एक

घोर निराशा एक ऐसी स्थिति है जो मनुष्य की जिंदगी में एक से लेकर कई बार आ सकती है। यह वह स्थिति होती है जब मनुष्य को लगता है कि, बस सबकुछ खत्म हो गया है। और उसकी जिंगगी से लगाव कम हो जाता है।

इसके कई वजह हो सकते हैं। इनमें किसी रिश्ते में असफलता, नौकरी में निराशा और भी कई छोटी या बड़ी वजह हो सकती है। परन्तु, इनमें से दो कारण जैसे- रिश्तों में असफलता और नौकरी में निराशा ही अधिकतर मुख्य होते हैं।

इन दशाओं में कई बार इंसान हताश होकर वापसी नहीं कर पाते।

परन्तु जीवन यहीं या वहीं समाप्त नहीं हो जाती, जिसे जीवन समाप्ति के अंतिम बिंदु मान लिया जाता है।

निराशा और हताशा की यह स्थिति प्रत्येक व्यक्ति के लिये अलग हो सकती है। इसे उस व्यक्ति को स्वयं समझने की जरूरत है जो अवसाद की इस स्थिति में पहुँच जाता है।

ऐसी भयानक स्थिति से उबरना और अपनी जिंदगी बचाना किसी महान काम से कम नहीं है। क्योंकि हमारी जिंदगी के साथ कई जिंदगियाँ जुड़ी होती है, जो हम पर निर्भर है।

घोर निराशा और हताशा की स्थिति में स्वयं को एकांत में कुछ समय दें, जहाँ संभव हो वहाँ से मदद लें, यह मानकर चलें कि कम संसाधन से ही अच्छी और सुकून की जिंदगी मिल सकती है। क्योंकि, ज्यादा संसाधनों के तबाह हो जाने और ज्यादा धन के खो जाने का डर इंसान को एक डर का पुतला बना देता है, जो सदैव डर की साया में जीता है।

अपनी दक्षताओं को मूर्त रूप दें, क्योंकि यही एक साधारण इंसान को सफल इंसान बना देती है।

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भाग दो

जितनी जिंदगी मिली है वह काफी है कुछ करने के लिए। आज निराशा है तो इसका मतलब यह नहीं की कल भी निराशा होगी। जिंदगी कई अवसर देती है। अतः बहुत जरूरी है की हम सही समय का इंतजार करें। एक वक्त ऐसा आता है की हमें मालूम हो जाता है कि जो होता है वह तय होता है, अतः किसी भी निर्णय पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए।

सबसे पहले अपने कमियों को जानें और अपनी क्षमता के दम पर लक्ष्य को पाने की कोशिश करें। कई अड़चन आती हैं, पर अडिग व्यक्ति को यह हिला नहीं सकती है। छोटी सी जिंदगी है, एक ही बार मिलती है, अतः इसे अपने अनुसार जिन की हिम्मत होनी चाहिए।

मैं भी अपनी जिंदगी में संघर्षों का सामना करते हुए अपने सपनों को पूरा करने में लगा हूं। आप भी कभी पीछे न हटें।

धन्यवाद!

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